एक छोटी सी कहानी: "सफलता की परीक्षा"
एक छोटे से गांव में रहने वाला लड़का राहुल बड़े सपनों से भरा हुआ था। उसका सपना था कि वह अपने गांव से बाहर निकलकर शहर में एक बड़ी सी नौकरी पाएगा और अपने परिवार की समृद्धि का सारा ध्यान रखेगा। राहुल के पिता एक गांव के सरपंच थे और उन्हें अपने बेटे के सपनों का पूरा समर्थन था।
एक दिन, राहुल को एक अच्छी नौकरी के लिए एक मुकाबले का नोटिस मिला। उस नौकरी के लिए बहुत सारे अभ्यर्थी आवेदन करने वाले थे और सभी को एक आवेदन परीक्षा देनी थी। राहुल को नौकरी के लिए यह एक बड़ा मौका था और उसे इसे हाथ से जाने नहीं देना था।
परीक्षा के दिन, राहुल अपने सपने की प्राप्ति के लिए तैयार था। उसने रात भर पढ़ाई की और अच्छी तरह से अभ्यास किया। लेकिन परीक्षा के दौरान, उसकी हाथ थम गई और उसने एक सवाल का जवाब गलत दिया। राहुल के मन में डर उभर आया कि कहीं वह इस नौकरी के सपने से वंचित न हो जाए।
परीक्षा के बाद, राहुल अपने परिवार के साथ गांव वापस लौटा। उसे अपने अभिभावकों को देखते हुए खुशी का अहसास हुआ, लेकिन उसके मन में एक खालीपन का अहसास भी था। वह जानना चाहता था कि उसने परीक्षा में गलत कैसे किया और अगर उसने सही जवाब दिया होता तो शायद नौकरी उसकी होती।
राहुल के पिता ने उसकी उदासी को देखा और उससे पूछा, "तुम्हारी परीक्षा कैसी गई?"
राहुल ने अपने पिता को सब सच्चाई बता
दी। उसने कहा, "पिताजी, मैंने एक सवाल का जवाब गलत दिया। शायद मैं इस नौकरी के लिए उपयुक्त नहीं हूं।"
राहुल के पिता ने उसे आवश्यकता से ज्यादा प्यार से गले लगाया और कहा, "बेटा, सफलता का मतलब यह नहीं है कि हम हमेशा सब कुछ सही करें। सफलता का मतलब है कि हम कभी हार न मानें और हमेशा प्रयास करते रहें। तुमने इस परीक्षा की कोशिश की, और यह बहुत बड़ी बात है। अगर तुम इस बार सफल नहीं हुए, तो अगली बार के लिए और मेहनत करोगे। जब तक तुम हार नहीं मानते, तुम अवश्य सफल होगे।"
राहुल ने अपने पिता के शब्दों को गहराई से समझा और एक नया जोश से अपने सपने की ओर बढ़ा। उसने अगली बार के लिए फिर से तैयारी की और एक और परीक्षा दी। इस बार राहुल ने अपने परीक्षा में सफलता प्राप्त की और वह अपने सपने की नौकरी पा ली।
राहुल ने अपने पिता को धन्यवाद दिया और कहा, "पिताजी, आपके साथ होने से मुझे एक नई ताक़त मिली है। मैं जानता हूँ कि सफलता के लिए कितनी मेहनत और संघर्ष की जरूरत होती है। आपके प्यार और समर्थन के बिना मैं यह नहीं कर पाता था।"
इस तरह, राहुल ने अपने जीवन की परीक्षा में सफलता प्राप्त की और अपने सपने की नौकरी पाई। उसे यह बात समझ में आई कि सफलता का मतलब यह नहीं है कि हम हमेशा सब कुछ सही करें, बल्कि सफलता का मतलब है कि हम हार न मानें और हमेशा प्रयास करते रहें। राहुल ने दिखाया कि अगर हमारे सपने सच्चे हैं और हम उन्हें पूरा करने के लिए समर्पित हैं, तो हम अपनी सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंच सकते हैं।